आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर में
सूचना शोधपद्धति : एक परिचय
रामप्रकाश झा
प्रायः सभी ग्रन्थालयों में पुस्तक के ऊपर छपे हुए नाम से पुस्तक ढूँढकर वाचक को दी जाती है. परन्तु आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर में किसी भी पुस्तक अथवा हस्तप्रत के शोध की विशिष्ट पद्धति अपनाई गई है, जिसके फलस्वरूप वाचकों तथा संशोधकों को उनकी अपेक्षित अध्ययन सामग्री कुछ ही क्षणों में प्राप्त हो जाती है. जब भी कोई वाचक या संशोधक ज्ञानमन्दिर में आता है, तो सर्वप्रथम हम उसकी अपेक्षित पुस्तक, हस्तप्रत या मैगेजिन के अंक के विषय में जानने का प्रयास करते हैं.
प्रायः वाचक उसकी अपेक्षित पुस्तक का नाम हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है और हम संगणक में उसे प्रकाशन आदि के योग्य शोध-प्रपत्र में टाईप करके ढूँढते हैं. यदि वह पुस्तक ज्ञानमन्दिर में उपलब्ध हो तो उसका सम्पूर्ण विवरण कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ जाता है और हम उस नम्बर की पुस्तक निकलवाकर उसे दे देते हैं. परन्तु कभी-कभी वाचक उस प्रकाशन आदि में रही किसी कृति का नाम, लेखक का नाम या संशोधक, संपादक, प्रकाशक आदि का नाम या अन्य सूचनाएँ बतलाकर उनके द्वारा लिखित, सम्पादित अथवा प्रकाशित पुस्तक की मांग करता है, तब अलग-अलग पद्धतियों से उनकी शोध की जाती है.
वाचकों को उनकी अपेक्षित अध्ययन सामग्री की त्वरित प्राप्ति हेतु आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर के लायब्रेरी प्रोग्राम में किसी भी पुस्तक, हस्तप्रत अथवा अंक में उपलब्ध विवरणों की सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित शोधपद्धति विकसित की गई है-
१. पुस्तक आधारित शोधपद्धति
२. प्रकाशक आधारित शोधपद्धति
३. विद्वान आधारित शोधपद्धति
४. कृति आधारित शोधपद्धति
५. ग्रन्थमाला आधारित शोधपद्धति
६. हस्तप्रत आधारित शोधपद्धति, तथा
७. मैगेजिन अंक आधारित शोधपद्धति
पुस्तक आधारित शोध पद्धति : सामान्यतया वाचक पुस्तक का नाम लेकर हमारे पास आता है, और हम उस पुस्तक का नाम पुस्तक शोधप्रपत्र के पुस्तक नामवाले खाने में प्रविष्ट कर शोध करते हैं यदि वह पुस्तक ज्ञानमन्दिर में होगी तो उसका विस्तृत विवरण तर्कबद्ध भागों में विभाजित होकर तुरन्त प्राप्त हो जाता है. जिसके अन्तर्गत पुस्तक का नाम, उसका भाग, उसकी आवृत्ति, उस पुस्तक के प्रकाशक का नाम व स्थल, उसका प्रकाशन वर्ष तथा उसकी पृष्ठ संख्या कम्प्यूटर स्क्रीन पर दर्शायी जाती है.
उसके नीचे उस पुस्तक में स्थित अन्य स्वतन्त्र कृतियों की सूचनाएँ, जो पेटांक के रूप में होती हैं और जो आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर की विशिष्टता है, उसे कृति अनुसार पृष्ठ सहित दर्शाया जाता है, उसके नीचे उस पुस्तक के सम्पादक, संशोधक, संकलनकार आदि का नाम तथा पुस्तक की भौतिक स्थिति दर्शायी जाती है.
इसके अन्तर्गत उस पुस्तक का नम्बर, उसका मूल्य, उसकी भौतिक दशा, जैसे- जीर्ण, श्रेष्ठ आदि और उस पुस्तक का प्राप्तिस्थल दर्शाया जाता है. सबसे नीचे उस पुस्तक में उपलब्ध कृतियों के नाम, उसके कर्त्ता का नाम, उसका स्वरूप मूल, टीका, अनुवादादि, उसका प्रकार गद्य-पद्यादि, उस कृति का आदिवाक्य, अन्तिमवाक्य तथा उसका परिमाण दर्शाया जाता है.
कभी-कभी मात्र पुस्तक नाम से यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि उस पुस्तक में क्या-क्या है? परन्तु आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर में मात्र पुस्तक नाम से शोध करने पर उस पुस्तक के अन्दर उपलब्ध समस्त विवरण क्षणमात्र में कम्प्यूटर-स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाता है, जिसे देखकर वाचक यह तय कर सकता है कि वह पुस्तक उसके लिए उपयोगी है या नहीं?
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