श्रुतसागरप्रेमी वाचकों के कर-कमलों में इस बार एक अद्भुत एवं रोमांचक शोध-सन्दर्भ प्रस्तुत किया जा रहा है। हस्तप्रत सूचीकरण कार्य के अन्तराल में कभी-कभी लघुकायवाली, परन्तु महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक शोध-सामग्री मिल जाती है। जिस किसी आधार से इसे लिखा गया हो, परन्तु महावीरजिन के कुल आयुमान ७२ वर्ष से सम्बन्धित यह सन्दर्भ, शोधपिपासु वाचकों को अवश्य ही रोमांचित करेगा ऐसा पूर्ण विश्वास है।
महावीरजिन की कुल आयु ७२ वर्ष ही थी, इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं है। आगमादि सभी ऐतिहासिक सन्दर्भ ग्रन्थों में एकमत से कुल वर्ष-७२ का ही उल्लेख मिलता है। अब प्रश्न यह उठता है कि सबसे प्राचीन वर्ष के प्रकारों में महावीर निर्वाण संवत् ही है, तो क्या इनके निर्वाण से पहले का कोई वर्ष प्रकार नहीं था? वर्ष की गणना मात्र १२ मासों के क्रमशः आवर्त्तन से गिना जाता होगा? जैसे कि आजकल किसी व्यक्ति या घटनाक्रम को कुल वर्षों में बताना हो तो प्रचलित वर्ष के प्रकारों में से कोई एक को चयन करके वीर संवत्, विक्रम संवत्, शक संवत् या ईसवी सन् इतने से इतने तक की सीमा बाँधकर वर्षमान निकालते हैं। महावीरजिन अथवा इनके पूर्व के तीर्थंकरों के समय कोई न कोई कुल वर्ष की गिनती का माध्यम रहा ही होगा। उस वर्ष के माध्यम की चर्चा कहीं देखने, पढने या सुनने में नहीं आई है। कल्पसूत्र आदि ग्रन्थों में पूर्व जिन से पर जिन के बीच में कितने वर्षों का अन्तर है, यह स्पष्टतापूर्वक उल्लेख किया गया है। किस माध्यम से गिनती रही होगी, यह विद्वानों, संशोधकों व जिज्ञासुओं के लिये संशोधन का विषय है। विद्वानों से साग्रह निवेदन है कि इस दिशा में संशोधनपूर्वक अपने विचार प्रस्तुत करें।
हाल ही में महावीरनिर्वाण संवत् व बुद्ध निर्वाण संवत् की प्राचीनता के सम्बन्ध में श्री पंकज शाह (वोस्टन) के द्वारा सम्पादित पुस्तक NIRVAN DATING OF TIRTHANKAR MAHAVIRA SWAMI का विमोचन किया गया। इसमें अनेक विद्वानों के संशोधनपरक लेख समाहित है।
प्रस्तुत प्रत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर के हस्तप्रत भण्डार में क्रमांक १७७८९८ पर उपलब्ध है। यह एक ही पत्र खड़े लेखन स्वरूप में लिखा गया है। पत्र-१अ पर यह कृति है तथा १आ पर पुस्तक लिखाई, हिंगलू खरीद आदि खर्चों का लेनदेन सम्बन्धी विवरण है। प्रतिलेखन पुष्पिका नहीं है, परन्तु लिखावट से प्रत वि. १९वीं की लगती है। किसने लिखा, किस आधार से लिखा, कब और कहां लिखा इसका कोई उल्लेख नहीं है। जो भी है, ऐतिहासिक सन्दर्भ सम्पदा है। इसकी भाषा पुरानी हिन्दी है और गद्यात्मक रूप से है। अन्तिम पाठांश से प्रतीत होता है कि अन्त में समापन का कुछ अंश प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण होने की संभावना है। जो भी है उत्तम है। प्रत में उल्लिखित मूल पाठ को यथावत् यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है-
श्रीः
॥ अथ श्रीमहावीर भगवान कौ ७२ वर्ष को आउखौ है तिसकौ हिसाब दिखाय कै ७२ वर्ष संपूरण कहते हें। ७२ वर्ष में ४४ तौ चंद्र संवत्सर है। २८ अभिवर्द्धित संवत्सर है। चंद्र संवत्सर में वर्ष वर्ष में छ छ दिन घटै है जद ४४ वर्ष में २६४ घट्या सो जद तीनसै साठ दिन मांहिसुं छ दिन निकाल्या तब चंद्रवर्ष का ३५४ दिन भया। अब तीनसै चौपन (३५४) कुं ४४ गुणा किया जद पनरा हजार पांचसै छिहत्तर दिन भया १५५७६। अब अभिवर्द्धित २८ संवत्सर है। इस संवत्सर में पनरा घडी ऊर पनरा दिन वधै है जद २८ वर्ष में पनरा दिन का हिसाब सें २८कुं १५ गुणा किया तद च्यारसै बीस दिन हुवा ४२०। अब १५ घडी वर्ष में वधी हे जद २८ वर्ष में कितनी वधी सो कहते है। १५कुं २८ गुणा किया जद ४२० घडी हुई इनकुं ६० का भाग दिया जद ७ दिन घडी सो ४२० दिन में मिलाई जद ४२७ दिन २८ अभिवर्द्धित संवत्सर में वढ्या सो ४४ चंद्र वर्ष का २६४ दिन घट्या था सो च्यारसै सत्तावीस (४२७) दिन अभि(वर्द्धि)त २८ संवत्सर का वढ्या है तिण मांहेसुं २६४ निकाल दिया जद १६३ दिन वधती का रह्या। इनका महींना किया जद ५ महीना ने १३ दिन हुआ सो न्यारा राख्या। अब अभिवर्द्धित २८ संवत्स(र) है तिनका ३६० दिन का हिसाब सें दिन किया जद २८नें ३६० गुणा किया तब दश हजार असी दिन हुया १००८०। दोनुं संवत्सर का दिन भेला कीया जद पचीस हजार छस्सै छपन दिन हुवा २५६५६।
इस तरह पाठकगण भी हस्तप्रत के आधार से स्वयं गणना करके महावीरजिन के ७२ वर्ष का विवरण तैयार कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में काल गणना हेतु स्थूल से स्थूल व सूक्ष्म से सूक्ष्म गणना की विधि मिलती है। इसे कोष्ठक के द्वारा बताने का प्रयास करते हैं-
१. चन्द्र संवत्सर–कुल ४४
O चन्द्रसंवत्सर ४४ के प्रत्येक वर्ष में से ६-६ क्षय होने से ४४x६=२६४ दिन।
O वर्ष के ३६०दिन में ६ घटाने पर ३५४ दिन।
O कुल चन्द्र संवत्सर ४४x ३५४ एक वर्ष के दिन=१५५७६ दिन ४४ वर्ष के हुए।
२. अभिवर्द्धित संवत्सर– कुल २८
O अभिवर्द्धित संवत्सर कुल-२८ इसमें १५ दिन और १५ घटी अधिक होते हैं।
O दिन-१५ x वर्ष-२८=४२० दिन।
O घटी-१५ x वर्ष-२८=४२० दिन।
O ४२० दिन को ६० से भाग देने पर ७ दिन।
O अब ४२० और + ७ दिन=४२७ दिन ये अभिवर्द्धित संवत्सर में बढा।
O चन्द्र संवत्सर ४४ का जो २६४ दिन घटा और अभिवर्द्धित संवत्सर में ४२७ दिन बढा है।
O अब ४२७ में २६४ घटाने पर १६३ दिन वृद्धिवाले हुए।
O उक्त १६३ दिन को मास में रूपान्तर करने पर ५ मास १३ दिन होते हैं।
O अभिवर्द्धित संवत्सर कुल २८ को कुल दिन निकालने हेतु ३६० x २८=१००८० कुल दस हजार अस्सी दिन हुए।
चन्द्र संवत्सर ४४ वर्ष के १५५७६ दिन एवं अभिवर्द्धित संवत्सर के १००८०दिन इन दोनों वर्षों को मिलाने पर १५५७६ + १००८०=२५६५६ पच्चीस हजार छः सै छप्पन दिन महावीरजिन के ७२ वर्ष आयुमान के कुल दिन हुए। इसके बाद हस्तप्रत में पाठ तो नहीं है परन्तु दिन की भाँति कुल मास में भी रूपान्तर किया जा सकता है। यथा- ७२x१२= कुल ८६४ मास। इस तरह हम कह सकते कि भगवान महावीर का आयुमान कुल वर्ष-७२, कुल मास-८६४ व कुल दिन-२५६५६ है। महावीरजिन जन्मकल्याणक मास से मोक्षकल्याणक मास के बीच यह गणना संवत्सर नाम के अनुसार हुई होगी। कारण कि महावीर निर्वाण वर्ष के पहले कोई वर्ष प्रकार होने का प्रमाण हमारे पास नहीं है।
महावीरजिन के ५ कल्याणक हैं, वे इस प्रकार हैं-आषाढ शुक्ल ६ च्यवन कल्याणक, चैत्र शुक्ल १३ जन्मकल्याणक, मार्गशीर्ष कृष्ण १० दीक्षा कल्याणक, वैशाख शुक्ल १० केवलज्ञान कल्याणक एवं कार्तिक कृष्ण अमावास्या मोक्षकल्याणक।
आशा है यह लेख वाचकों को यत्किञ्चित् सन्तोषकारक एवं हर्षोत्पादक सिद्ध होगा। अपने विचारों से उपकृत करने की कृपा प्रदान करें, यही हार्दिक अभिलाषा है। किसी प्रकार की लेख में क्षति रह गई हो उसे क्षमादान के साथ अवगत कराने की भी कृपा करें। सुज्ञेषु किं बहुना…
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