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Category: Jainism

ऊजल कविकृत शिवपुर(शिरोही) मंडण आदिनाथ चतुर्मुखप्रासाद स्तवन-गणि सुयशचन्द्र – सुजसचन्द्रविजयजी

कुल ८४ पद्योमां गूंथायेल प्रस्तुत रचना सिरोही नगरना आदिनाथ प्रभुना चौमुख जिनालयनी प्रतिष्ठाने वर्णवती ऐतिहासिक रचना छे। कृतिकारे अहीं भाषा तथा वस्तु ए बे...

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वाचक मानविजयजी कृत श्री वीतराग अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र – सा. आर्ययशाश्रीजी म.सा. (पू. नेमिसूरि समुदाय)

आ कृति कलश सहित कुल २३ गाथामां रचायेली छे। पू. मानविजयजी म.सा. ए अद््भुतशैलीमां परमात्मानां १०८ नामोनुं गाथामां प्रास साथे निरूपण कर्युं छे। वितराग...

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ग्रंथसूचना शोधपद्धति : एक परिचय – 5

स्पेशल क्वेरी- कुछ विशेष परिस्थितियों में, जब प्राप्त अपूर्ण सूचनाओं के आधार पर किसी भी शोध-प्रपत्र में कृति, प्रकाशन, हस्तप्रत अथवा मैगेजिन अंक को...

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ग्रंथसूचना शोधपद्धति : एक परिचय – 2

उस विद्वान के द्वारा सम्पादित पुस्तकों की सूची देखने के लिए प्रकाशन वाले टैब पर माउस के द्वारा क्लिक करने से उसके द्वारा सम्पादित प्रकाशनों की सूची देखने को मिलती है. इस सूची के अन्तर्गत उस विद्वान के द्वारा संपादित पुस्तकों के नाम, उनके भाग, उनकी आवृत्ति, उन पुस्तकों के प्रकाशक का नाम व स्थल, उनके प्रकाशन वर्ष तथा उनकी पृष्ठ संख्या कम्प्यूटर स्क्रीन पर दर्शायी जाती है.

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सूचना शोधपद्धति : एक परिचय

प्रायः सभी ग्रन्थालयों में पुस्तक के ऊपर छपे हुए नाम से पुस्तक ढूँढकर वाचक को दी जाती है. परन्तु आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर में किसी...

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ग्रंथसूचना शोधपद्धति : एक परिचय – 1

तपागच्छाधिपति श्री प्रेमसूरीश्वरजीनी प्रेरणाथी राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्रीपद्मसागरसूरीश्वरजीनी अध्यक्षतामां विक्रम संवत् २०७२मां पालीताणा खाते थएल तपागच्छीय श्रमण सम्मेलनमां जैन ज्ञानभंडारोना संकलन तथा डीजीटलाईजेशन विशे निर्णय...

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